Considerations To Know About sidh kunjika
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
नवरात्रि में देवी को प्रसन्न करने के लिए इसका पाठ करें. जानते हैं सिद्ध कुंजिका पाठ की विधि और लाभ.
नमस्ते शुंभहंत्र्यै च निशुंभासुरघातिनि ।
श्री महा लक्ष्मी अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
There is no need to recite Kavacham, Argala stotram, Kilakam or Rahasyakam Neither is it essential to recite Suktam, Dhyanam, Nyasam as well as there's no must worship (every one of the previously mentioned are preliminary stotras that have to be recited just before reading through of Devi Mahatmya). These traces condition that In the event the kunjika stotra is recited, there is not any really need to recite the any Many others.
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर रहे हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में पवित्रता बहुत मायने रखती है.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
ग्रहों के click here अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.